Posts

Showing posts from 2021

कुछ सहमे सहमे से आज हालात हैं ...

Image
  कुछ सहमे सहमे से आज हालात हैं  जाने किस घड़ी के सारे लम्हात है  टूट हुए लफ़्ज़ों से कहानी नहीं बनती  बिखरे हुए सारे मेरे अल्फ़ाज़ हैं  अभी तो परेशान होने का सफ़र शुरू हुआ  मुसीबतों का ज़िंदगी मे अभी आगाज़ है  सारी बातें सबके सामने बोल नहीं सकता  मेरी आँखों मे जज़्ब कुछ अनकहे राज़ हैं  किस सवेरे की बात करते हो जो सपनों मे है  यहाँ तो हक़ीक़त मे काली घानेरी रात है खुलकर कोई अपनी आपबीती नहीं कहता  कुछ लोगों के सिमटते हुए जज़्बात हैं  ऐसा कौन है जो तुमको मुँह लगाएगा  तुम्हारा समय तो वैसे ही बर्बाद है  शब्दों के बनिस्बत नज़रों का लिहाज़ कुछ इसी तरह से अपने अंदाज़ हैं  राजेश बलूनी 'प्रतिबिम्ब'   

थमे तुम जिस जगह ....

Image
थमे तुम जिस जगह पर वहां भी रास्ता निकलता है  मगर तुम कदम आगे बढ़ा नहीं पाए    मैने तो ईंट पत्थर इकट्टा कर लिए थे  तुम ही मेरा घर बना नहीं पाए  क्या त्योहार , क्या खुशी, अब पता नहीं चलती  हम अपना आंगन दियों से सजा नहीं पाए  दर्द भी सीने में जज्ब कर रखे हैं  कोई कितना भी पूछे पर बता नहीं पाए बहुत कोशिश की लोगों ने भटकाने की  पर मुझे अपने इरादों से डिगा नहीं पाए जमाना मुझे कोसने गिराने के लिए खड़ा था  पर हिम्मत है कि वो गिरा नहीं पाए  रोज यहां पर जुल्म होता है बेधड़क  उस से लड़ने की हिम्मत हम दिखा नहीं पाए  रहने को तो कुत्ता भी आदमी के साथ रहता है  पर इंसान ही इंसान से दिल लगा नहीं पाए राजेश बलूनी प्रतिबिंब