Posts

Showing posts from January, 2017

जन्मदिवस आया, नयी थाह लाया

Image
जन्मदिवस आया, नयी थाह लाया अर्ध संकल्पित जीवन में पूर्णता की चाह लाया विदित हो कि जीवन का प्रतिक्षण अनुपम है यही तो सुखानुभूति और दुखों का संगम है परिचित भी जब दूर जाये और अज्ञात छवि जब पास आए, अनुभव की इस  सृष्टि में ईश्वर ने क्या खेल दिखाए ! मन मस्तिष्क हुआ प्रसन्न जब अंधियारे में कोई साथ आया जन्मदिवस आया, नयी थाह लाया....... अवरुद्ध मार्ग है, असंख्य विलाप हैं नाना प्रकार के क्रियाकलाप हैं शीतलता का मर्म साथ में ,क्रोध का उन्मत्त उच्चताप लाया शमन चित्त, नयन स्थिर,वेनियों ने झंकृत राग गाया जन्मदिवस आया, नयी थाह लाया....... दिव्य ज्योति से प्रबुद्ध ज्ञान, सम्पूर्ण विश्व का सम्मान, विकृत विचारों का परित्याग, रात्रिकोश से उद्घृत विहान विमर्श-विनिमय की स्वतंत्रता का भान, शांति स्थापित करे फिर प्राण, पर उग्रता का भी है स्थान, हृदय-मस्तिष्क के मंथन में स्मृति-अमृत पास आया जन्मदिवस आया, नयी थाह लाया....... अंतिम श्वास का यही है बोध जीवन में हर स्मृति का कोष कुछ मधुर संगीत का लोकमंचन, कुछ असीमित कटु सत्य का प्रतिरोध इन्ही विमर्श-बूटियों से नया जीवन-विचार आया  

नकली ज़िंदगी

Image
दुनिया मे चकाचौंध अजब नहीं है  मुख़ौटे ओढना यहाँ ग़लत नहीं है     तुझे भी पसंद नहीं सादगी तो छोड़ो  तू भी दुनिया से कुछ अलग नहीं है  वो नकली ज़िंदगी का हवाला देते हैं  पर मेरी सच्चाई का मुझमे बस नहीं है  क्या शानो -शौकत जब ज़मीर ही खोखला है लगता है तुम्हे ज़िंदगी की परख नहीं है  मैं तो रहूँगा हमेशा ऐसे ही खालिस तुझे मैला रहने से फ़ुर्सत नहीं है  कद्र नहीं होती यहाँ भोलेपन की देख लो चालबाज़ी कर लूँ  ऐसी शख्सियत नहीं है राजेश बलूनी 'प्रतिबिम्ब'