Friday, October 25, 2019

सोचा हुआ हो जाए, ये हमेशा नहीं होता....



सोचा हुआ हो जाए, ये हमेशा नहीं होता
हर किसी का मन यहाँ एक सा नहीं होता

बहुत ख्वाब थे कि ज़िन्दगी बड़ी आसान सी होगी
मुश्किल से न गुज़रे, कोई दिन ऐसा नहीं होता

संभलकर बोलना और संभलकर चलना पड़ता है
जैसा हम सोचते हैं ज़िन्दगी का सफर वैसा नहीं होता

लाख समझाया कि मेरी इरादों में हमेशा नेकी रहती है
इतना कहने पर भी उसको भरोसा नहीं होता

अभी शुरू में ही तकलीफों की झलकियां दिख गई
मुझे कुछ दिन आराम मिले, वैसा नहीं होता

मैं तो अपनी अकलियत को फिर भी सुधार लूँ
पर उसके रवैये में बदलने का जज़्बा नहीं होता

अपने ही करम थे जो आजकल डरे सहमे रहते हैं
दूसरों की गलतियों का यहाँ मसला नहीं होता

- राजेश बलूनी 'प्रतिबिम्ब'




मेरी सुबह को लोग रतिया समझते हैं ....

मेरी सुबह को लोग रतिया समझते हैं  पेड़ की शाखो को वो बगिया समझते हैं  कद्र कोई करता नहीं गजलों की यारों  सब खिल्ली उड़ाने का जरिया समझते हैं...