घुटन......
खुलती हवाएं घुटन से भरी हैं
ये बागों की कलियाँ चुभन से भरी हैं
शज़र की शाखों में पत्ते नहीं हैं
ये राहें तो उजड़े चमन से भरी हैं
ज़मीं तो हकीकत से कोसों परे है
सितारों की किस्मत गगन से भरी है
चले जा रहें हैं कि मंज़िल नहीं है
दिशाएं भी देखो जलन से भरी हैं
न साथी, न यादें, न जीवन का किस्सा
मातम की बातें ज़हन में भरी हैं
साँसें तो जैसे पिंजड़े में बंद है
फ़िज़ाएं धुएं की किरण से भरी है
राजेश बलूनी 'प्रतिबिम्ब'
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