तेरी आवाज़

तेरी आवाज़ से तन्हाई में जो खलल होता है

वही आजकल मेरे जीने का सबब होता है


तीखी नज़रों से सामना होता है मेरा रोज़

इस तरह दिन गुज़रना बड़ा अजब होता है


ये लगाव है या अच्छे वक़्त का इशारा

पहली पसंद का एहसास कुछ अलग होता है


एक मुस्कराहट से पूरे दिन का खुशनुमा होना

ये करिश्मा भी बड़ा ग़ज़ब होता है


खुशबू में घुल गया है ज़िन्दगी का मौसम

हज़ारों फूलों से बेहतरीन कँवल होता है


परेशां है ज़हन कि इधर-उधर भटकता है

सुकून भी न जाने क्यों बेअसर होता है


हंसी भी रोज़ न जाने कितने आंसुओं को भुलाती है

ख्वाबों में आजकल नया महल होता है


- राजेश बलूनी 'प्रतिबिम्ब' 

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