कल से...........



नए सफ़र में नए सिरे से आगाज़ करना होगा
अतीत की यादों को दूर से नमस्कार करना होगा

कोई मर्ज़ है जो दवाओं से भी लाइलाज है
उसे अपनी दुआओं से खुशहाल करना होगा

शाम से शहर में कुछ शोर हो रहा है
ख़ामोशी को थोडा अब इख्तियार करना होगा

कि ज़हर की खुराक भी चाहिए थी थोड़ी सी
मगर मौत को अभी इंतज़ार करना होगा

रजामंदी है हमारी कि बोल दो अपनी बात
हमें भी अपनी गुफ्तगू को थोडा आजाद करना होगा

खूब होश गंवाए हमने ; बिना कुछ हासिल किए
अब राहों को मंजिल के लिए बहाल करना होगा

एकमुश्त खामियां नहीं दिखती कभी इंसान में
इन तमाशों का धीरे -धीरे दीदार करना होगा

मैं सोच रहा था की कल से ही मेरी ज़िदगी बदलेगी
मगर इसके लिए मुझे मेरे आज को तैयार करना होगा


राजेश बलूनी 'प्रतिबिम्ब'

Comments

Popular posts from this blog

खाली पन्ना

अब रंज नहीं किसी मसले का ......

नया सवेरा